मुझको मिली जो जिंदगी


रास्ते में एक दिन
मुझको मिली जो जिंदगी
मुझे देखकर वो
रुक गई
पहचानकर मुझको जो वो
कहने लगी
तू ये बता
है कौन ये जिंदा जो है
वो कौन था
जो मर गया....!

नादान सी, मासूम सी
नीयत से भी वो
नेक थी
उसे देखकर मैं जी उठा
उसे देखकर कहने लगा
तुझे पा के तुझ पे मर गया
जब खो दिया तो
बस मर गया

एक रोज जो
वो फिर मिली
नुक्कड़ पे दफ्तर के मुझे
मुझे रोक कर
देखे मुझे
जैसे पूछती हो बस यही
तू कौन है, जो है नहीं
जो तू है नहीं वो है कहां

बातों में उसकी
उलझा मैं
अब तक नहीं
सुलझा हूं मैं
अब खुद से हूं मैं पूछता
तू कौन है, जो है नहीं
जो तू था कभी
क्या वो मर गया....!

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